ये जो दोस्ती होती है न ...बिलकुल मासूम बच्चे सी होती है ,,,,सोच रहे होगे के पागल हु यही न ......देखो एक 2 साल के बच्चे को देखना ,तुम्हे सुकून मिलेगा ,...मुझे भी मिलता है जब तुम सब को देखती हु ,,,,नहीं नहीं तुम बच्चे नहीं हो ....तुमसब तुमसबमें मुझे न दोस्ती देखती है ....कभी देखा है छोटे बच्चे को झगड़ते हुए ,,,,कभी उसको एक टॉफी देखना और चुपलेना ...फिर लड़ना देखना ..मेने भी देखा है तुम्सब्मे ...कहोगे फिर पगला गयी ...नहीं नहीं।बताती हु न ....... कभी गोर किया है तुमने ,जब में मायूस होती हु ,,,तुम आते हो मेरे पास ......में कह देती हु बस ठीक हु ...कुछ नहीं हुआ ....तुम झुंझला पड़ते हो कहते हो " पिटके बताएगी या वैसे ही बता देगी , अब नौटंकी मत कर " :) बस वाही , वैसी ही रिस तो बच्चे में होती है , या कहू दोस्ती में होती है उस बच्चे जैसी ......:) पता है क्या तुमको ,,,सोते हुए बाचे की मुस्कुराहट कितनी सुकून देती है , बिलकुल मेरी और तुम्हारी तरह ....:) :) :) ये दोस्ती है न पता है प्यार होती है ....अरे !!! नहीं नहीं वो नहीं ,जो तुम समाज रहे हो .... कभी छोटे...