मेरी ज़िन्दगी
ज़िन्दगी रूकती नहीं है .......अगर रुक जाती ,तो में इसे पकड़ के रखती ...तुम्हारे इंतजार में ...पर क्या करू ,ज़िन्दगी कोई बच्चा थोड़े ही थी ,जो एक टॉफी देके बहल जाती ...और कुछ देर और रूकती एक और टॉफी के लिए ...
कम्बखत! ! ! उसको क्या पता के किसी के लिए रुकना भी किसी को चाहने की निशानी है .....अगर पता होता तो वो भी प्यार करती ....तुमसे ....जैसे में हु तुम्हारी दीवानी।
एक बार जो मेरी ज़िन्दगी
देखती तुम्हे
तो दीवानी हो जाती
तुम्हारी
पर वो पीछे मुडके देखती कहा है
वो तो ज़िन्दगी है
आगे ही तलाशती है
तुमको
नहीं मुझको ...
पर
में तो तुमसे ही हु
फिर कैसे
वो मुझे तलाशती होगी
शायद
तुम्हारी यादो के ढेर में
खंगालती होगी
के मै मिल जाऊ उसे
और वो जी ले खुद को
मेरे और तुम्हारे साथ !!!!
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ReplyDeletebole to???
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