मुस्कान

    एक छोटी सी मुस्कान  , जो याद रहती  है  उम्र भर ,
इस तस्वीर में , कैसे भर       देती है जान 
        कैसे इस तस्वीर की    आत्मा बन जाती है 
एक छोटी सी मुस्कान ...
ये जान पाना कितना  मुश्किल है ,
के  बचपन में ,जाने अनजाने 
कितने सहज भाव से , सब हस्ते थे ,मुस्काते थे 
न जानते थे  क्या है कठोर ,
हर सफ़र , हर मुश्किल ,लगती थी आसान 
कब  कैसे वो क्षण   गुज़र जाते थे 
  वक़्त गुज़रा ,बहुत कुछ  मिला 
पर सब कुछ खो गया 
सब  हुए भी ...
कुछ नहीं था 
 खो चुकी थी ,बहुत छोटी सी चीज़ 
जो थी छोटी सी 
मुस्कान 
वो खो चुकी है , बचपन खो चूका है 
या फिर कैद हो गयी है 
तस्वीर में 
पर, जब भी देखती हूँ ,तस्वीर को 
एक पल के लिए ही सही 
आती है मुस्कान 
फिर उसी क्षण गूम  हो जाती है 
ज़िन्दगी की उधेड़ बुन में 
यु ही खोते पाते 
कट जाता है सफ़र 
पर कुछ कीमती चीजों की  कमी 
 खलती   है 
जैसे 
 मुस्कान 
जो अब मेरी  होते हुए  भी 
मेरी नहीं है ............





- ओज              

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