एक फलसफा ये भी




मंजिलों की बात हर वक़्त करते रहते हो दोस्त
कभी कभी राह की ठोकर और पसीने की बदबू को भी याद कर लो

सपनों की चादर सुन्दर बहुत बुनी है तुमने
जुलाहे की थकी उँगलियों की गहरी लकीरों की भी फ़रियाद कर लो

ऊंची उड़ान किस परिंदे को अपनी तरफ नहीं बुलाती
अपने अन्दर छिपे आसमानों को भी उतना ही आज़ाद कर लो

आज की मेहनत ही कल की शोहरत बनती है एक दिन
या ख़ुशी से इसे गले लगा लो या फिर अपने कल को बर्बाद कर लो

बहुत लम्बी है ये राह, कई सारे पड़ाव मिलेंगे
ठंडी छाँव की मीठी नींद के लिए अपने जूनून को जल्लाद कर लो

अपने मुकाम को अपनी मुट्ठी में करना हो तो
जी हुजूरी की आदत छोड़, ज़रूरी हो ईश्वर से भी वाद-विवाद कर लो

क्या ईर्ष्या, कपट, द्वेष, कलह में मिलेगा मित्रों
प्यार बांटते रहो, और जो मिले गालियाँ तो उन्हें आशीर्वाद कर लो

आस पास तुम्हारे कितना कुछ है जो ठीक नहीं है
चुप्पी साधे बैठ गएँ हैं दुनिया वाले, तुम तो एक सिंहनाद कर लो

अपने घर पर दीवाली की खूब मनाना खुशियाँ
लेकिन एक दिन जा कर किसी दीवाले का गरीबखाना भी आबाद कर लो

ईमान की दुकान पर अब नकली खिलौने बचे हैं
या अभी बाज़ार से निकल लो, या खरीददारी थोड़ी देर बाद कर लो

नसीहत नहीं है ये बस एक फलसफा समझ लो
पसंद न आये तो एक मुआफी कुबूल हो, अच्छा लगे तो बस इरशाद कर लो.

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