बदलाव
अगर भगवान् ज्यादा प्रतिभा देता है तो उसके साथ घुन भी लगा देता है ..... या मीठे बेर ही कीड़ा होते हैं ...
बस मेरे में 4-6 घंटे बैठकर गहरे अध्यन की प्रवत्ति होती तो ... में भी कुछ अच्छा कर सकती थी ... घर की नज़र में मै बीटा होना चाहिए थी :) .......
एक दिन कंप्यूटर पे जगजीत जी की ग़ज़ल सुन रही थी ...मम्मी ने 4-5 बार आवाज़ लगायी ....मै उनकी आवाज़ नहीं सुन पाई ........
माँ आई और गुस्से में बोली ....कानो में ठेक लगा रखी है .......इतनी आवाज़ लगायी सुनाई नहीं देता ..........
मैंने उत्तर दिया " मै उनसे तो अच्छी हूँ जो बिना कहे बहुत कुछ सुन लेते हैं "
मै जवाब नहीं रोक सकती ....मुझे अपनी बात बोलने में डर नहीं ,न हिचकिचाहट होती ......
गोदाम कैसा भी हो , शो रूम सजा रहना चाहिए ......समे मेरे साथ भी है
मै कितनी ही बुरी सही ....पर अपने आप को अच्छा साबित करने में हमेशा मशगुल रहती हु .....
मै हूँ बदलाव ,
कब रुकी हूँ मै
आदतों का एक सिलसिला हूँ मै ......
साथ चलती नहीं ज़माने के ,
रस्ते अपने खोजती हूँ मै ......
रोज़ दिन मेरा पूछता है .....
क्या सिर्फ एक दायरा हूँ मै ......
याद करना उसे नहीं भूली ...
क्या उसे अब भी चाहती हूँ मै .......
बंद आँखे किये " ओज " अक्सर
सोचती हूँ
कितनी बुरी हूँ मै
Comments
Post a Comment