तेरी खमोशी के सुर
बचपन में पड़ा था मैंने "एनेर्जी" के बारे में
न तो उसे बनाया जा सकता है
न ख़तम किया जा सकता है
उसका जा सकता है
वैज्ञानिको ने ये साबित भी कर दिया
युगों पहले कृष्ण के दिए गीता उपदेश
अब तलक इस भ्रमंड में घूम रहे
हैं
और "बीटल्स" का संगीत भी .....
"साउंड"एनेर्जी का तो समज आता है
पर तुम्हारी ख़ामोशी के सुर कैसे गूंजा करते हैं
यु अविराम ....अविरल ...हर पल
मेरी धड़कन में ....
किस सप्तक के सुर हैं ये
के कोई और नहीं सुन पाटा इन्हें
तुम्हारे दिल से निकलते हैं
और मेरे दिल को सुनाई देते हैं बस
तुमसे मीलों दूर बेठे हुए भी
मुझ तक पहुचते कैसे हैं ये
इस मीलों लम्बे निर्वात में
हैं इन सुरों का संवाहक ?
हसो नहीं ..बताओ न प्लिस
देखो ना मेरी फिजिक्स
आज भी
बेहद कमज़ोर है .....
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