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रूह को तलाशती लड़की

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कभी कभी मानो लगता है  मेरी रूह उत्तर आई हो तुम्हारे जिस्म में और तुमने लिख डाला हो मेरे ही एहसास को ये जो तुम कह रही हो  ये ही किसी रूह की आवाज़ है। आज कल जान पड़ता है जिस्मो में रूह रहा नहीं करती  दुनिया की खूबसूरत चीज़ो में जाके चुप जाती है  हम ढूंढ़ते रहते है फिर सुकून बेचैन बदन में सुनो तो तुमको कोई खूबसूरत से नज़्म दिखे तो बताना हमको , अपनी रूह को खींच लाएंगे इस बार देखो लड़की  मेरे पास कुछ बेर बचे हैं , लाल रंग के  तुम्हारे होठो से अधिक गहरा वाला लाल रंग  मेरे पास नहीं बचा है सुकून , इसलिए इज़ाज़त नहीं के तुम्हारे मुकाबिल कोई नज़्म खोज सकूँ। देखा कहा था ना मेने  छुप गयी होगी कहीं  तुमने फिर शब्द उकेरे मेने फिर अपनी रूह खोज ली  लग रहा जैसे तुमने अपनी कलम में बंद करके रख दी है  तुम्हारे शब्दों के साथ कटरा कटरा निकलती है रूह हमारी  ऐ लड़की हां कहो लड़के लड़का नहीं , कच्ची दीवार के साये में एक बूढ़ा साया। । साया बड़े लिबास में। … सुना था कभी साया लिबास ओड लेता है उम्र का तकाज़ा कैसे लगाया तुमने जाने क्या मगर , इस तरह आवाज़ डौगी तो सब बिखर जायेगा फि

Dark as my soul

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कह कर जाना नहीं होता. कहने का अर्थ होता है रोक लिया जाना. बहला लिया जाना. समझा दिया जाना. सवालों में बाँध दिया जाना. कन्फर्म नहीं तो कन्फ्यूज कर दिया जाना. जब तक हो रही है बात कोई नहीं जाता है कहीं. यहाँ तक कि ये कहना कि 'मैं मर जाउंगी' इस बात का सूचक है कि कुछ है जो अभी भी उसे रोके रखता है. उसे उम्मीद है कि कोई रोक लेगा उसे. कोई फुसला देगा. कोई कह देगा कोई झूठ. कि रुक जाओ मेरे लिए. जाना होता है चुपचाप. अपनी आहट तक समेटे हुए. किसी को चुप नींद में सोता छोड़ कर. जाना होता है समझना सिद्धार्थ के मन के कोलाहल को. जाना होता है खुद के अंधेरों में गहरे डूबते जाना और नहीं पाना रोशनी की लकीर को. मुझे आजकल क्यूँ समझ आने लगा है उसका का चुप्पे उठ कर जाना. वे कौन से अँधेरे थे गौतम. वह कौन सा दुःख था. मुझे क्यूँ समझ आने लगा है उसका यूँ चले जाना. मुझे रात का वो शांत पहर क्यूँ दिखता है जब पूरा महल शांत सोया हुआ था. रेशम की चादरें होंगी. दिये का मद्धम प्रकाश होगा. उसने जाते वक़्त यशोधरा को देखा होगा? सोती हुयी यशोधरा के चेहरे पर कैसा भाव होगा? क्या उसे जरा भी आहट नहीं महसूस हुयी