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हमसे बिचडके

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हमसे बिचडके  कैसे जिया करोगे ? किस्से रात गयी तक बाते किया करोगे ? बन जाएगी आदत देर तक चाँद देखना .  रातों को घुट घुट के  आंसू पिया करोगे किस तरह रोकोगे अश्कों को आँखों में आने से ? होठो की थरथराहट को कैसे सिया करोगे ? वो प्यारी सी सौगाते , याद आएँगी बीती बाते ..  तुम किसी और के बहाने मेरा नाम लिया करोगे?  रोज़ सूख जाया करेंगे  आँगन में तेरे मेरे बाद फूल  किसको दिया करोगे  !

एक तरफ मोहब्बत और एक तरफ दोस्ती .

कितनी अजीब सी  बात है .... एक तरफ मोहब्बत और एक तरफ दोस्ती .... उल जुलूल उलझाने , उलझनों के बिच  फसी मै ... खुद को खोजती हुई हर बार खुद को खोती  चली जा रही हूँ .... तुमको पाने की तलाश मै .... और तुम्हे न खोने की आस में ..... एक तुम हो .... मेरा प्यार , दीदार मेरा ,आशिकी की  हद से परेह ..तुम हो .... और एक तुम हो , मेरी आस , विश्वास ,दोस्ती ...तुमको खो देना ,खुद को खो देना ... ज़िन्दगी के  हर मोड़ पर  हमेशा दोराहे मिले मुझको ... जो एक ही मंजिल को  जाते है ....  किसपे चलू ..किसके संग चलू ..... प्यार ,दोस्ती .....  कभी एक ही शख्स से नहीं होते ..... जब तुम दोस्त थे ...तुम से हम हुए ....और हो गया इकरार ,पैदा हुआ प्यार ..... क्यों मार  दिया दोस्ती को .... क्या ज़रूरी है एक को मार के दुसरे को पा लेना ..... खो तो दिया मेने खुद को , दोस्ती जो खो गयी पाने के लिए तुमको ,,....  पा लिया प्यार ...... एक तुम हो जो आज  भी मुझे खोज रहे हो , दोस्त जो हो ..... भला कैसे खोने देते तुम मुझको खो न जाते तुम , उल जुलूल उलझनों में .. वैसे जैसे में खो चुकी हूँ  प्यार को पाने में ..... दो शख्स आज भी जिंद