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Showing posts from May, 2012

चेहरे

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चेहरे पे मुखोटा लगाए  मिलते हैं हर रोज़ नए चेहरे, नयी सूरत में नए अंडा  किसी चेहरे पे खालीपन  तो किसी चेहरे में  गहरे राज़  किसी में किसी को पाने की ख़ुशी,तो  किसी में किसी को न भूल पाने का गम  कई चेहरे ऐसे भी होते है  इस शहर की भीड़ में  जो घूमते है बेखोफ , किसी का चेहरा लगाए  लगता है मुज्मे ही हैं सब  हर चेहरे का एक छोटा सा हिस्सा, जैसे बुना हो मेरे ही चेहरे में, किसी को पाने की ख़ुशी तो नहीं  पर किसी को न भूल पाने का गम  पर ये चेहरा तलाशता है  हर सू  जाने कोण से चेहरे में दिख जाए मुझे  मेरा अपना ही चेहरा,अपना ही वजूद  जैसे मै  ही मै  हु हर चेहरे में  अपने की अक्स को दुन्द्ती नज़रे  कुछ जाने पहचाने से अजनबी चेहरे  चेहरे पे मुखोटा लगाये मिलते है हर रोज़  नए चेहरे  

sahej rahi hu

तुम कहते थे ना हमारा रिश्ता जाने कितने जन्मो से चला आ रहा है , और आगे जाने कब तक चलने वाला है , इस जन्म में भी हम यूँ ही मिले जैसे , एक दुसरे की ही तलाश थी ,बस मिले और साथ चलने लागे,बहुत सा प्यार बहुत सी यादे , संजूयी इस जन्म के  छोटे से सफ़र में,आज जाने क्यों दिल कर रहा है , पलट कर वो सारे पल फिर से जीने का , वो सब फिर से याद करने का। जाने अगले जन्म तक ये यादे रहे न रहे,इसलिए सहेज रही हूँ यहाँ,ये सब पद कर अगले जन्म किसी की याद आये  न तो समाज लेना मै ही हूँ,और बस एक आवाज़ लागा देना किसी भी नाम से,मै  दौड़ी चली आयुंगी ,तुम्हारे पास ,तुम्हारा हाथ थामने.  याद है जान ,वो जहग जहां हम पहली बार मिले थे ,और मिलते ही लगा था जाने कब से जानते एक दूजे को ,हमारे असीम प्यार और तमाम   को यही पिरोह रही हूँ।....अगले जन्म में पलट के देखेंगे तो खूब ....हसेंगे  एक बार जब हम पूरा दिन साथ में घूमते रहे थे।उस चिलचिलाती दोपहर से,में ओक में भर कर देर साड़ी धुप ले आई थी,सर्दियों के लिए।... ऐसे क्या हंस रहे हो,सच्ची बोल रही हु,जानती हु तुम्हे भी नहीं पता।...वो साड़ी गुय्न्गुनाहत,हमारे प्यार की यहाँ स

लहू

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जिन्होंने उम्र भर तलवार का गीत गया है उनके शब्द लहू के होते हैं लहू लोहे का होता है जो मौत के किनारे जीते हैं उनकी मौत से जिंदगी का सफर शुरू होता है जिनका लहू और पसीना मिटटी में गिर जाता है वे मिट्टी में दब कर उग आते हैं *** हमारे लहू को आदत है मौसम नहीं देखता,महफ़िल नहीं देखता जिंदगी के जश्न शुरू कर लेता है सूली के गीत छेड़ लेता है शब्द हैं की पत्थरों पर बह-बहकर घिस जाते हैं लहू है की तब भी गाता है ज़रा सोचें की रूठी सर्द रातों को कौन मनाए? निर्मोही पलों को हथेलियों पर कौन खिलाए? लहू ही है जो रोज धाराओं के होंठ चूमता है लहू तारीख की दीवारों को उलांघ आता है यह जश्न यह गीत किसी को बहुत हैं- जो कल तक हमारे लहू की खामोश नदी में तैरने का अभ्यास करते थे.

सपने

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सपने हर किसी को नहीं आते बेजान बारूद के कणों में सोई आग को सपने नहीं आते बदी के लिए उठी हुई हथेली के पसीने को सपने नहीं आते शेल्फों में पड़े इतिहास-ग्रंथों को सपने नहीं आते सपनों के लिए लाजमी है झेलनेवाले दिलों का होना सपनों के लिए नींद की नज़र होनी लाजमी है सपने इसलिए हर किसी को नहीं आते

मुझे उस शख्स की परवाह बहुत है

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मुझे उस शख्स की परवाह बहुत है  जो समझा तो यही रिश्ता बहुत है  वो एक बात जो सबसे छुपाई  उसी एक बात का चर्चा बहुत है  मेरी ख्वाहिस कभी पूरी ना होगी मुझे इस बात का सदमा बहुत है  किसी को भुलाना मुमकिन नहीं है  वर्ना हमने तो चाहा बहुत है  कहाँ तक और मेरा साथ देगा वो  पहले ही यहाँ रुसवा बहुत है  तेरे जैसा कोई मिलता नहीं है  तेरा जैसा मगर ढूंडा बहुत है  चलो अब मौत का सामना कर ले  जीना तो यहाँ महंगा बहुत है  वो मेरे पास कब ठहरे है आखिर  जो मेरे पास से गुज़रे बहुत है  

a drop in the ocean ......a will in itself

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A drop cannot know what an ocean is until it dissolves itself in the ocean..an individual can never know the will of the whole as long as that individual  maintain his separate identity.but if he can resolve himself and cease to be an individual who is separate from the whole,then only the whole will remain.and because the individual will no longer remains,the question of knowing the will of the whole does not arise.then the individual will live the way that the unknown  the whole,makes him alive.in this situation ,no individual will,desire for any particular outcome,no personal longing for anything,no attitude for imposing one's own will upon the will of the whole remains anywhere because the individual himself is no more as long as individual is there,the will of whole will never be unknown.and when the individual is no more,there remain no needs to know the will of the whole-because then the unknown;the individual has become just an instrument ,a vehicle
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मेरी दास्ताँ-ऐ-हसरत वो मुझे सुनासुना के रोये  मेरे आजमाने वाले मुझे आजमा के रोये  कोई असाह्ल-ऐ-दिल हो के  फ़साना-ऐ-मोहब्बत  में उसे सुना के रोई, वो मुझे सुना के रोये  मेरी आरज़ू की दुनिया  इस दिल की हसरत  जिसे खो के आज इहादमन  में थे  उसे आज पा के  रोये  तेरी बेवफाई पर, तेरे वादों पर  कभी सर झुका के रोये  कभू मुह छुपा के रोये  जो सुनाई अन्जमन में ,शुब गम की आपबीती  कोई रोके मुस्कुराये  कोई मुस्कुरा के रोये  

समझा नहीं मुझे

एक शख्स पास रहकर के  समझा नहीं मुझे  इस बात का मलाल है  शिकवा नहीं मुझे  में उससे बेवफाई का इलज़ाम कैसे दू  उसने तो सिद्दत से ही चाहा नहीं मुझे  पत्थर समाज कर पाऊं से ठोकर लगा दिया  अफ़सोस तेरी आँख ने परखा नहीं मुझे  क्या उमीदें भान्द्के आये थे सामने  उस ने तो आँख भर के देखा नहीं मुझे 

प्रेमकहानी मरती देखी

आज फिर एक बार एक बार अखबार के पन्नो पे  एक प्रेम कथा मरती देखि नहीं देखि तो बस ख़ुशी से खुश होती जब भी देखि इस दुनिया से लरती देखि क्या इस जीवन का यथार्थ यही तक है जब भी देखि सुनी कभी इतिहास के पन्नो पे दम तोड़ते देखि और देखा उन विचित्र लोगो को भी मारते मजनू को पत्थर और हर दिवार में एक अनारकली  मैंने चिनती देखि जब भी देखी इस दुनिया के अन्धविश्वासो में हर रोज़ एक प्रेम कहानी खोती  देखी और देखे हर मजनू के घाव  हर कोने में बेठी एक लैला रोती   देखी जब भी देखी इस दुनिया में प्रेमकहानी मरती देखी  और मरकर भी हर एक जुबां पे मेने हर पल मचलती देखि 

कोई हमसे पूंछे

यादो के सहारे जीना कोई हमसे पूंछे भीड़ में तन्हा चलना कोई हमसे पूंछे कितना मुश्किल है गम छुपकर हँसना अकेले रहकर रोना कोई हमसे पूंछे....| हमारी ख़ुशी का राज कोई हमसे पूंछे हमारे प्यार की गहराई कोई हमसे पूंछे कितना मुश्किल है उन गहराइयों में डूबना उन गहराइयों में उन्हें पाना कोई हमसे पूंछे....| किसी को खोने का डर कोई हमसे पूंछे देखकर मेरी आँखों में कोई उनका नाम पूंछे कितना मुश्किल है दूर रहकर जीना पास है वो कितना ये बात कोई हमसे पूंछे....| उनकी चाहत का फ़साना कोई हमसे पूंछे काश उनकी हर एक बात कोई हमसे पूंछे कितना मुश्किल है जवाब देना जब कोई उनके प्यार की सीमा पूंछे....| हर रातो में जागने का राज़ कोई हमसे पूंछे कोई हमसे रात का एक ख्वाब तो पूंछे कितना मुश्किल होगा ,किसी को ख्वाब बताना जब कोई हमसे रात को सोने का वक़्त पूंछे....| उन्हें एक पल भूलना कोई हमसे पूंछे हमारे प्यार का एक एक एहसास कोई हमसे पूंछे कितना मुश्किल होगा ये बात बताना जब कोई हमसे हमारी मुहोब्बत की शुरुवात पूंछे....| उनके आने का इंतज़ार कोई हमसे पूंछे तमन्नाओ में उन्हें याद करना कोई हमसे पूंछे

मोहब्बत

मौसम मोहब्बत  का बस इतना फ़साना है कागज़ कि हवेली है बारिस का ज़माना है क्या शर्त-ऐ -मोहब्बत क्या शर्त-ऐ -ज़माना है आवाज़ भी ज़ख़्मी है और गीत भी गाना है  , उस पार उतरने की उमीद बहुत कम है कश्ती भी पुराणी है तूफान का भी आना है समझे या न समझे वो अंदाज़ मोहब्बत के किसी शख्स को आँखों से हाल-ऐ-दिल सुनना है  भोली सी भोली  अदा फिर ,इश्क  की जिद्द पर है फिर आग का दरिया है और डूब के जाना है ..

pata to chale

unhe na pyar ho humse,na ho bhale hi na ho.... hume pyar he unhi se,unhe pata to chale...!!! nazar me laye na lakh khatayen unki.... humari kya khata he ye hume pata to chale...!!! bager unke bhi hum sikh lenge jilena... isi me unki raza he zara pata to chale...!!! mujhe tasalli milegi kahi jo sath chale... me kadam tez rakhu aur vo ahista jo chale...!!! a sanam sochna phursat se kabhi mere bare me... kya pata koi nayee bat phir pata chale.

usme dekhi hai zindagi

जब से देखा है उसको, अपनी जिंदगी को देखा है अपने चेहरे पे चाँद की चमक को देखा है ख़ुशी भि मिली हसी भि मिली जब से उसकी मोहब्बत है मिली हमने अपने रूह में उसकी खुशबू को देखा है आह भरते है हम तडपते है हम जब भि खफा होते है वो पर फिर भी हर पल उनको करीब देखा है जेसे मानो हमने जन्नत को देखा है उनकी मोहोब्बत से ये जहाँ हसीं लगता है सारा इस जहा का हर शख्स अपना सा लगता ...

broken heart

I’m suffering from a broken heart I don’t know when it all happened But I do know when it started I was a little younger than I gave someone my heart And ever since then I became heartless Heartless to the world I gave him my all I gave him my world I trusted him with my whole life Then all of a sudden he switched his role He started to change Slowly but surely He started to break me down He made me feel less of a women He didn’t love me He pretended to be Damn I ever gave him my virginity Yeah I was naive But don’t judge me I’m guilty of the crime The crime of being another innocent girl Who was young and dumb He left me in the cold After that i felt worthless All I wanted was someone to love me As much as I loved him.

likha meine

सारी रात बैठकर  अपनी बर्बादी  का अफसाना  लिखा मैंने  जब भी कलम उठायी ,खुद को ही दीवाना  लिखा मैंने  ये वादियाँ ,ये मंज़र,ये चाँद सितारे,लगते हैं अपने से  इन अपनों के बिच में अपने ही दिल को बेगाना  लिखा मैंने  कभी साथ रहते थे ,मेरा  साया बनकर  आज इन्ही प्यार के लम्हों को ,बीता ज़माना  लिखा मैंने  वो मुझसे प्यार करके भी,रहते हैं गैरों के साथ  उनकी इस बेवफाई को भी ,मज़बूरी का बहाना  लिखा मैंने  जब जल गए मेरे अरमान ,उनके पहलु में  तब खुद को शमा और उसको एक परवाना  लिखा मैंने  जब लगी हाथ मेरे मुकद्दर की कलम , खुदा जानता है, उसको तकदीर में ज़माना और खुद के लिए  विराना  लिखा मैंने।   
udte rahe hai jo dil me,khayal tere hai k mere chashme tamnna me khwab tere hai kitab meri,kalam meri,or soch bhi meri magar jo likhe hai mene vo baabn tere hai tu meri zaat ka mustawad hawala hai kitab e ishq me saale nisaab tere hai
remember,often life does not end in the same way that it begins.the end is always unknown,it is always invisible.mostly what we think will happen doesn't happen.life is an unknown journey.hens whatever is believed in the first moment of life,in the first moment of any event,does not necessarily turn out to be the outcome at the end.we can engage ourselves in shaping our destiny but we can never become the one who decides it.the outcome is always something different