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Showing posts from 2012

हमसे बिचडके

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हमसे बिचडके  कैसे जिया करोगे ? किस्से रात गयी तक बाते किया करोगे ? बन जाएगी आदत देर तक चाँद देखना .  रातों को घुट घुट के  आंसू पिया करोगे किस तरह रोकोगे अश्कों को आँखों में आने से ? होठो की थरथराहट को कैसे सिया करोगे ? वो प्यारी सी सौगाते , याद आएँगी बीती बाते ..  तुम किसी और के बहाने मेरा नाम लिया करोगे?  रोज़ सूख जाया करेंगे  आँगन में तेरे मेरे बाद फूल  किसको दिया करोगे  !

एक तरफ मोहब्बत और एक तरफ दोस्ती .

कितनी अजीब सी  बात है .... एक तरफ मोहब्बत और एक तरफ दोस्ती .... उल जुलूल उलझाने , उलझनों के बिच  फसी मै ... खुद को खोजती हुई हर बार खुद को खोती  चली जा रही हूँ .... तुमको पाने की तलाश मै .... और तुम्हे न खोने की आस में ..... एक तुम हो .... मेरा प्यार , दीदार मेरा ,आशिकी की  हद से परेह ..तुम हो .... और एक तुम हो , मेरी आस , विश्वास ,दोस्ती ...तुमको खो देना ,खुद को खो देना ... ज़िन्दगी के  हर मोड़ पर  हमेशा दोराहे मिले मुझको ... जो एक ही मंजिल को  जाते है ....  किसपे चलू ..किसके संग चलू ..... प्यार ,दोस्ती .....  कभी एक ही शख्स से नहीं होते ..... जब तुम दोस्त थे ...तुम से हम हुए ....और हो गया इकरार ,पैदा हुआ प्यार ..... क्यों मार  दिया दोस्ती को .... क्या ज़रूरी है एक को मार के दुसरे को पा लेना ..... खो तो दिया मेने खुद को , दोस्ती जो खो गयी पाने के लिए तुमको ,,....  पा लिया प्यार ...... एक तुम हो जो आज  भी मुझे खोज रहे हो , दोस्त जो हो ..... भला कैसे खोने देते तुम मुझको खो न जाते तुम , उल जुलूल उलझनों में .. वैसे जैसे में खो चुकी हूँ  प्यार को पाने में ..... दो शख्स आज भी जिंद

दिये से मिटेगा न मन का अंधेरा

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घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये -- निदा फाज़ली   नवरात्र के आगमन के साथ ही त्योहारों का मौसम शुरू हो गया है ... अभी कल ही नौ दिनों के व्रत , उपवास और कन्या पूजन के साथ ही नवरात्र संपन्न हुए हैं और आज विजयदशमी है ... बुराई पर अच्छाई की , झूठ पर सच की ,  अहम पर विवेक की विजय का पर्व ... और कुछ ही दिनों में दीपावली आएगी और पूरी धरा रौशनी में नहा जायेगी ... हर सिम्त सिर्फ रौशनी और जगमगाहट ... नए कपड़े , पटाखे , खुशियाँ और मिठाइयाँ ... बचपन से ही हम सब बड़े चाव के साथ ये सब त्यौहार मनाते आ रहे हैं ... है ना ? सच है आख़िर किसे ये खुशियों से भरे त्यौहार नहीं पसंद होंगे ... इनके नाम मात्र से ही सबके चेहरे पर हँसी खिल जाती है ... पर इन सब खुशियों के बीच चंद बच्चे ऐसे भी हैं जिनके पास ना तो नए कपड़े हैं , ना ही ये पटाखे और मिठाई खरीदने के पैसे ... उनकी ज़िन्दगी में कोई रौशनी नहीं है ... सच पूछिये तो उनकी बेबसी और तमाम सवालों से भरी आखें देख कर कभी कभी ये सब खुशियाँ बड़ी बेमानी , बड़ी बेमतलब सी लगत

तुम्हारी बाते

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एक लम्बी रात के बाद एक छोटे दिन का इंतज़ार। मुझे आज भी बेसब्री से  है ...... सुना था तुम्हारी यादे रात को आएंगे .... एक दफा तुमने कहा था .....पर अफ़सोस .....मेरी रात में तुम्हारी यादो का हुजूम नहीं लगता बस तुम्हारी बाते बातो से मुलाकात होती है ......और हम तुम्हारी बहुत बुराई करते है साथ में बेथ कर।।।। तुम से अच्छी मुझे तुम्हारी बाते लगती है ...... तुम शायद खुबसूरत नहीं हो पर तुम्हारी बाते तो सुभान अल्लाह .... शब्द नहीं है .............पता है तुम को ...आज करवाचौथ है  :) :) तुम्हारी एक बात मुझे कल रात को मिली थी ... वाही बात जो तुमने एक बार कही थी जब हम साथ थे ऐसी ही एक  में ....... मेने कहा था " कल करवाचौथ है , कहो व्रत रखोगे मेरे लिए ...मेरी लम्बी उम्र के लिए  :) तुम्हारी बात याद है तुमको ......बोले थे " कल बहार चलेंगे ...पार्टी करेंगे ..बहुत खायेंगे .....तुम्हारी उम्र को भादाने के लिए खाना जादा ज़रूरी है ... :) मेरा व्रत  नहीं ....:) " वो बात की बाते सुनी मेने कल रात फिर ...सोचा तुम तो नहीं हो .....मेरी लम्बी उम्र के लिए ....पर मै  तो हु ना :) खा सकती हु ,पार्टी भी

अगर खबर होती

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अगर  खबर  होती  ये इश्क  के सफ़र में  टूटते हैं दिल बार बार  तो हमारा दिल न होता न होता ये सफ़र  न उसकी चुभन  होता तो सिर्फ   इस जिस्म में  पत्थर सा ....उस जगह पे जहा आज टूटे हुए  दिल के टुकड़े हैं  न होते अरमान  न ही स्वप्न  अगर खबर होती  

बदलाव

अगर भगवान् ज्यादा प्रतिभा देता है तो उसके साथ घुन भी लगा देता है ..... या मीठे बेर ही कीड़ा होते हैं ... बस मेरे में 4-6 घंटे बैठकर गहरे अध्यन की प्रवत्ति  होती तो ... में भी कुछ अच्छा कर सकती थी  ... घर की नज़र में मै बीटा होना चाहिए  थी :) ....... एक दिन कंप्यूटर पे जगजीत जी की ग़ज़ल सुन रही थी ...मम्मी ने 4-5 बार आवाज़ लगायी ....मै उनकी आवाज़ नहीं सुन पाई ........ माँ आई और गुस्से में बोली ....कानो में ठेक लगा रखी है .......इतनी आवाज़ लगायी सुनाई नहीं देता .......... मैंने उत्तर दिया " मै  उनसे तो अच्छी हूँ जो बिना कहे बहुत कुछ सुन लेते हैं " मै  जवाब नहीं रोक सकती ....मुझे अपनी बात बोलने में डर नहीं  ,न  हिचकिचाहट होती ...... गोदाम कैसा भी हो , शो रूम सजा रहना चाहिए ......समे मेरे साथ भी है  मै  कितनी ही बुरी सही ....पर अपने आप को अच्छा साबित करने में हमेशा मशगुल रहती हु ..... मै हूँ बदलाव , कब रुकी हूँ मै  आदतों का एक सिलसिला हूँ मै ...... साथ चलती नहीं ज़माने के , रस्ते अपने खोजती हूँ मै ...... रोज़ दिन मेरा पूछता है .....    क्या सिर्फ एक दायर

तेरी खमोशी के सुर

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बचपन में पड़ा था मैंने "एनेर्जी" के बारे में न तो उसे बनाया जा सकता है न ख़तम किया जा सकता है  उसका   जा सकता है वैज्ञानिको ने  ये साबित भी कर दिया युगों पहले कृष्ण के दिए गीता उपदेश अब तलक इस भ्रमंड  में घूम रहे हैं और "बीटल्स" का संगीत भी ..... "साउंड"एनेर्जी का तो समज आता है  पर तुम्हारी   ख़ामोशी  के सुर कैसे  गूंजा करते हैं यु अविराम ....अविरल ...हर पल   मेरी धड़कन में .... किस सप्तक   के सुर हैं ये के कोई और नहीं सुन पाटा इन्हें तुम्हारे दिल से निकलते हैं और मेरे दिल को सुनाई देते हैं बस तुमसे मीलों दूर बेठे हुए भी  मुझ तक पहुचते कैसे हैं ये इस मीलों लम्बे निर्वात में  हैं इन सुरों का संवाहक ?  हसो नहीं ..बताओ न प्लिस  देखो ना मेरी फिजिक्स आज भी बेहद कमज़ोर है ..... 

An Open letter to Dr. APJ Abdul Kalam from the Common Man of India

An Open letter to Dr. APJ Abdul Kalam from the Common Man of India June 17, 2012 Dear Dr. Kalam, Greetings from me, the common man, trying to live a simple life of dignity, across the length and breadth of this country, despite the heaviest of odds stacked against me! It is my guess that as I write this, you are watching with some amusement the twists and turns of the race to the Rashtrapati Bh avan. I am amused too, but in a cynical, sickly kind of way. Not that I expected any better from the people who populate this country’s Parliament and political party offices (after all, I am the reason they are there in the first place), but I was hoping against hope that there might be some dignity left at the bottom of the barrel. Alas, I was wrong! And so the amusement has quickly turned to nausea. And though I am a diehard optimist, who tries to detect a silver lining in any cloud, I am fast wearing of the situation our politicians are plunging this country into. An

एक फलसफा ये भी

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मंजिलों की बात हर वक़्त करते रहते हो दोस्त कभी कभी राह की ठोकर और पसीने की बदबू को भी याद कर लो सपनों की चादर सुन्दर बहुत बुनी है तुमने जुलाहे की थकी उँगलियों की गहरी लकीरों की भी फ़रियाद कर लो ऊंची उड़ान किस परिंदे को अपनी तरफ नहीं बुलाती अपने अन्दर छिपे आसमानों को भी उतना ही आज़ाद कर लो आज की मेहनत ही कल की शोहरत बनती है एक दिन या ख़ुशी से इसे गले लगा लो या फिर अपने कल को बर्बाद कर लो बहुत लम्बी है ये राह, कई सारे पड़ाव मिलेंगे ठंडी छाँव की मीठी नींद के लिए अपने जूनून को जल्लाद कर लो अपने मुकाम को अपनी मुट्ठी में करना हो तो जी हुजूरी की आदत छोड़, ज़रूरी हो ईश्वर से भी वाद-विवाद कर लो क्या ईर्ष्या, कपट, द्वेष, कलह में मिलेगा मित्रों प्यार बांटते रहो, और जो मिले गालियाँ तो उन्हें आशीर्वाद कर लो आस पास तुम्हारे कितना कुछ है जो ठीक नहीं है चुप्पी साधे बैठ गएँ हैं दुनिया वाले, तुम तो एक सिंहनाद कर लो अपने घर पर दीवाली की खूब मनाना खुशियाँ लेकिन एक दिन जा कर किसी दीवाले का गरीबखाना भी आबाद कर लो ईमान की दुकान पर अब नकली खिलौने बचे हैं या अभी बाज़ार से निकल लो, य

CAT GYAN # 6

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I was browsing through my mail box,came across few mails I use to treasure as a CAT Aspirant.They were posted by Arun (Psycho dementia,if I'm not mistaken?) in the CAT 2k2 group. These mssgs were posted in June. Heck,jus 2 weeks to go,so I'm posting them here. Series of CAT Gyan...6 of them. CAT GYAN #1 When you take CAT, what makes a crucial difference in determining whether you crack CAT and get into the IIM s or not is how quick you can attempt questions. One of the key observations that might throw light on CAT cracking methodologies is that - in most cases students spend about 60% of the time in quant and DI section on calculations. If you can make a difference to your calculation speed, even if it is marginal, it will make a substantial difference to your getting into an IIM. After all people make it to the cut off by a margin of 0.25 marks. We will intersperse our question a day with a fast calculation tip every now and then and about 5 exercise problems for each metho

ढलती हुई शाम

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 शाम 6 बजे थे। मै अपनी छत पे बेठी आकाश को निहार रही थी .............काफी बारिश हुई थी दिन में ...आज का आसमान का नज़ारा कुछ और ही है  ..... बादलों ने आकाश का श्रृंगार कर दिया है .....और बादलों के पीछे ढलते सूरज की लालिमा एक अलग ही नज़ारा पेश कर रही है ..... कभी कभी लगता है  जैसे मेरा मन ........इन बादलों की  है  .....जब तक मन में विचार रूपी जल भरा रहेगा ....तब तक उसकी गति बहुत कम होगी  .......मन भारी होगा , ठीक जल लिए बादलों की तरह , कालिमामयी ..  जब बदल बरस  है, तो वो और भी ज्यादा उज्जवल ,....ख़ूबसूरत ... हुए कपास की भांति प्रतीत होता है ...... उन खाली बादलों की और देखने पे लगता है  जैसे वाही स्वर्ग है ......उनके पीछे जैसे कोई और दुनिया है .. और उसकी दूसरी और उगता हुआ चन्द्रमा ....और बादलों के पीछे डूबता हुआ सूरज  ...एक अनोखा संगम ...संगम अँधेरे और उजाले का ....एक शीतल वातावरण .......ऐसे लुभावने संगम में मन एक पंछी की भांति  उन्मुक्त गगन में उड़ने लगता है ..........ये वक़्त का खेल ही है .....जिस सूरज को देखने से अन्धकार सा छा जाता था वाही सूरज ढलते वक़्त आँखों को   देता है ....व

ये जो दोस्ती होती है न

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ये जो  दोस्ती होती है न ...बिलकुल मासूम बच्चे सी होती है ,,,,सोच रहे होगे के पागल हु यही न ......देखो एक 2 साल के बच्चे को देखना ,तुम्हे सुकून मिलेगा ,...मुझे भी मिलता है जब तुम सब को देखती हु ,,,,नहीं नहीं तुम बच्चे नहीं हो ....तुमसब तुमसबमें  मुझे न दोस्ती देखती है ....कभी देखा है छोटे बच्चे को झगड़ते हुए ,,,,कभी उसको एक टॉफी देखना और चुपलेना ...फिर  लड़ना देखना ..मेने भी देखा है तुम्सब्मे ...कहोगे फिर पगला गयी ...नहीं नहीं।बताती हु न ....... कभी गोर किया है तुमने ,जब में मायूस होती हु ,,,तुम आते हो मेरे पास ......में कह देती हु बस ठीक हु ...कुछ नहीं हुआ ....तुम झुंझला पड़ते हो  कहते हो " पिटके बताएगी या वैसे ही बता देगी , अब नौटंकी मत कर " :) बस वाही , वैसी ही रिस तो बच्चे में होती है , या कहू दोस्ती में होती है उस बच्चे जैसी ......:) पता है क्या तुमको ,,,सोते हुए बाचे की मुस्कुराहट कितनी सुकून देती है , बिलकुल मेरी और तुम्हारी तरह ....:) :) :) ये दोस्ती है न पता है प्यार होती है ....अरे !!! नहीं  नहीं वो नहीं ,जो तुम समाज रहे हो .... कभी छोटे बच्चे को गोद में लेना औ

ये यादे

 ये यादे भी न  बड़ी बातूनी होती है ....तुम हो की कुछ बोलते नहीं और  वो है की कभी चुप रहती नहीं ,एक बार शुरू हो जाती है तो ......ये  यादे  भी न बिलकुल मुझ पर गयी है  ....रात को बीते पहर  ऐसे घेरे बेठी थी मुझे की गर कोई कमरे में आजाता  उस वक़्त वो चाचा ग़ालिब की "छुपाये न बने,और बताये न बने" वाली स्थिति हो जाती .....सबका एक दिन आता है .....किसी दिन तुमको आके घेरेंगी मेरी यादे  :) तब हम भी कही ऐसे ही चिप जायेंगे .... पता है कल रात हमने ढेर  बाते की ...यादो ने और मैंने ......तुम्हारी यादे उन तमाम भूली बिसरी गलियों से होतें हुए जाने कोंसे शहर ले गयी थी :) :) :) जहाँ बस हम थे ....और चारो और पीले रंग के फूल खिले थे ....जैसे सूरज से साड़ी रौशनी चुरा लाये हो ....एक अजीब सी मदहोश कर देने वाली गंध बिखरी थी साड़ी फिजा में ... बड़ी जानी पहचानी सी लगी थी वो महक ,जैसे जन्मो से जानती थी उसे ....बहुत  सोचा तो याद आया , जब  बार   तुम्हे गले लगाया था ना वैसी ही  महक बिखरी थी फिजा में तब भी ........................ जानते हो आज  सुबह सुबह तुम्हे सपने में देखा ....तब से मुस्कुराती हुई घूम रही ह

एक सवेरा

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एक सवेरा जग  होगा ,मुझ में कहीं जो हो चूका है ,न होगा दोबारा के कल तो जा चूका है .... वो मौसम बदल रहा होगा ,मुझमे कहीं ! एक उजली सी चादर दिख रही होगी कुछ स्वर गूंज रहे होंगे ! वो अँधेरा   ढल रहा होगा मुझमे कहीं !!! कुछ उम्मीदे पनप रही होंगी उजाला हो चूका होगा ,मुझमे कहीं सभी तो जग चुके हैं मुझे भी  जागना होगा !!! आज कुछ नया करना होगा के कल में सो न पाऊं के कल ये हो न पाए ... मुझे हसना ही होगा और लड़ना ही होगा ये मेने जान लिया है के जब मै  रो रही होंगी ,अँधेरा हो रहा होगा और उस अँधेरे में फिर मुझे सोना ही होगा कुछ सपने पल रहे होंगे ,मुझमे कही और फिर एक आस मुझको जगाएगी के उठ जा सवेरा हो चूका है एक और दिन कल इतिहास बन जायेगा मुझे जागना ही होगा कुछ करना ही होगा सवेरा हो चूका है अब मुझमे कही 

मौत नहीं आती

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मौत नहीं आती जिस्म  के मिट   जाने  पे मौत तो आती है जब रूह मिट जाती जाती है , नहीं कहते मरना दुनिया से रुखसत हो जाने पे , मरना कहते हैं जब अपनी आस मर जाती है , ज़िन्दगी की उधेड़ बुन में खो जाने पर मर-मर के जीने को नहीं कहते ज़िन्दगी ये तो जंग है हर बात में खुद को पाने की नहीं आती मौत जिस्म के मिट जाने से मौत तो आती है जब जीने की आस मिट जाती है आगे  भडती जिंदगी की रफ़्तार रुक जाती है जिंदगी में रुक्जाने पे मौत जाती है  

ज़िन्दगी

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मै  आज भी , हस्ती हूँ  खिलखिलके , पर उसमे गूंज नहीं होती  मै  आज भी ... चलती हूँ ज़मी पर  पर  कदमो में रफ़्तार नहीं होती  में आज भी  देखती  हु  ख्वाब  इतने ... पर उनमे  अब जान नहीं होती  जानते हो क्यों ??? मै बंट गयी हु  दो वर्गो में  एक  उनके लिए  जो खाते है जीने को  और वो    जीते है खाने को  बहुत सकुचा गयी हु एक आईने के दो  टुकडो  में बंट  हूँ  ज़िन्दगी हु अमीरों की और  गरीबो की!!!

कैसे लिखू कुछ

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क्या लिखू  बताओ ज़रा ,तुम ही कुछ बता दो ,क्या सुनना चाहते हो !!! मै  वाही लिख दूंगी  .............. मेरे पास मेरा कुछ लिखने को है ही कहाँ ......जो कुछ लिख सकूँ !.....कभी कभी दुसरो के लिए भी लिखना चाहिए !..तुम्ही ने तो बताया था ....पर तुम दुसरे हो ही नहीं ,बताओ फिर कैसे कुछ लिखू ??? तुम खुद कहते हो के वो लिखो जो अच्छा लगे ,तुम्हे भी और सबको .....पर क्या तुमने कभी सोचा है के ....मेरा सबकुछ तो तुम ही हो ......तुम भी सोच रहे होगे कितनी उलझी हुई बाते करती हु मै ..है ना !!! :) पर मुझे अच्छा लगता है जब तुम मुस्कुरा के सुनते हो और फिर कहते हो,,,, तुम क्या कह रही हो कुछ समाज नहीं आया। और मै  झुंजला के मुह फेर लेती हु ...और तुम मुझे वाही सब दोहरा के सुना देते हो जो मै  तुम्हे कहती हु .....और मुझे भी मजबूरन बोलना पड़ता है ...तुम क्या बोल रहे हो?कुछ समझ ही नहीं आ रहा !!! फिर दोनों खिलखिला कर हस देते है ..यही तो मुझे अच्छा लगता है ...तुम्हे हसाना  ,और फिर खुद हस  जाना :) कैसे लिखू कुछ  जो कहती हु   तुमसे  जो सुनती हु  वो तुम्हारी  जो मुज्मे है  वो तुझमे है .... तो कैसे   कुछ

मेरी ज़िन्दगी

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ज़िन्दगी रूकती नहीं है .......अगर रुक जाती ,तो में इसे पकड़ के रखती ...तुम्हारे इंतजार  में ...पर क्या करू ,ज़िन्दगी कोई बच्चा थोड़े ही थी ,जो एक टॉफी देके बहल जाती ...और कुछ देर और रूकती  एक और टॉफी के लिए ... कम्बखत! ! ! उसको क्या पता के किसी के लिए रुकना भी किसी को चाहने की निशानी है .....अगर पता होता तो वो भी प्यार करती ....तुमसे ....जैसे में हु तुम्हारी दीवानी। एक बार जो मेरी ज़िन्दगी  देखती तुम्हे  तो दीवानी हो जाती  तुम्हारी  पर वो पीछे मुडके देखती  कहा है  वो तो ज़िन्दगी है  आगे ही तलाशती है  तुमको  नहीं मुझको ... पर  में तो तुमसे ही हु  फिर कैसे  वो मुझे तलाशती होगी   शायद  तुम्हारी  यादो के ढेर  में  खंगालती होगी  के मै  मिल जाऊ उसे  और वो जी ले खुद को  मेरे और तुम्हारे साथ !!!!

मै तुम्ही से तो हु

 तुम जानते हो क्या , तुम मुझसे  हो .... या नहीं हो ..... पता नहीं पर तुम ... हो मेरे और  मै  तुम्हारी मै मान चुकी हु .. तुम  न मानो या मानो  मुझे फरक नहीं पड़ता ... पर डरती हु .. कही तुम ये न मान जाओ और चले जाओ जाओगे ..तो क्या होगा मेरा प्यार का कुछ और इम्तेहान होगा पर न  होना जुदा मुझसे नहीं नहीं खुदसे  क्युकी  मै तुम्ही से तो हु - ओज 

मुस्कान

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    एक छोटी सी मुस्कान  , जो याद रहती  है  उम्र भर , इस तस्वीर में , कैसे भर       देती है जान          कैसे इस तस्वीर की    आत्मा बन जाती है  एक छोटी सी मुस्कान ... ये जान पाना कितना  मुश्किल है , के  बचपन में ,जाने अनजाने  कितने सहज भाव से , सब हस्ते थे ,मुस्काते थे  न जानते थे  क्या है कठोर , हर सफ़र , हर मुश्किल ,लगती थी आसान  कब  कैसे वो क्षण   गुज़र जाते थे    वक़्त गुज़रा ,बहुत कुछ  मिला  पर सब कुछ खो गया  सब  हुए भी ... कुछ नहीं था   खो चुकी थी ,बहुत छोटी सी चीज़  जो थी छोटी सी  मुस्कान  वो खो चुकी है , बचपन खो चूका है  या फिर कैद हो गयी है  तस्वीर में  पर, जब भी देखती हूँ ,तस्वीर को  एक पल के लिए ही सही  आती है मुस्कान  फिर उसी क्षण गूम  हो जाती है  ज़िन्दगी की उधेड़ बुन में  यु ही खोते पाते  कट जाता है सफ़र  पर कुछ कीमती चीजों की  कमी   खलती   है  जैसे   मुस्कान  जो अब मेरी  होते हुए  भी  मेरी नहीं है ............ - ओज              

तेरे जाने के बाद ...

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कभी कभी समज  नहीं पाती क्या लिखू .....जैसे तुम गए हो तो मेरे शब्द भी तुम्हारे साथ चले गए। जब भी अतीत के पन्नो को खोलती हु तो बस तुम दीखते हो ...पता है ..मेरे सहेलिय कहती हैं के मै अब पहली सी नहीं   रही ....उनका मन्ना है के मै बदल चुकी हु .....मुझे यकीं नहीं होता। मै तो  आज भी तुम्हे उस्सी जूनून से चाहती हु ....फिर कैसे यकीं करू उनकी बातो का  ...................... तुम ....मै जानती हूँ ....तुम नहीं जाना      चाहते थे .....पर जाना पड़ा ..अगर न जाते तो मुझे कैसे यकीं होता के मै  तुमसे प्यार करती हु ....जिसे लड़कपना समझे हुए थी वो तो एक सागर निकला ................. तुम्हे प्यार करना मेरे लिए जितना आसान है तुम जानते हो क्या ....नफरत कर पाना उतना ही मुश्किल है ... मेरी सहेलिय कहती है के तुम  धोकेबाज़ हो ....तुम मुझे यु छोड़ कर चले गए ..पता है मै  उन्हें दांत देती हु .........मुझे पता है गलती मेरी ही थी ........ये बात मै  ही नहीं जान  के मुझे  तुमसे प्यार था ......तो तुमसे कहती कहा से ........ अब तरसती है  आँखे  के दीदार हो सके  एक पल  के लिए ही सही  कुछ प्यार हो सके  जब त