sahej rahi hu

तुम कहते थे ना हमारा रिश्ता जाने कितने जन्मो से चला आ रहा है , और आगे जाने कब तक चलने वाला है , इस जन्म में भी हम यूँ ही मिले जैसे , एक दुसरे की ही तलाश थी ,बस मिले और साथ चलने लागे,बहुत सा प्यार बहुत सी यादे , संजूयी इस जन्म के  छोटे से सफ़र में,आज जाने क्यों दिल कर रहा है , पलट कर वो सारे पल फिर से जीने का , वो सब फिर से याद करने का।
जाने अगले जन्म तक ये यादे रहे न रहे,इसलिए सहेज रही हूँ यहाँ,ये सब पद कर अगले जन्म किसी की याद आये  न तो समाज लेना मै ही हूँ,और बस एक आवाज़ लागा देना किसी भी नाम से,मै  दौड़ी चली आयुंगी ,तुम्हारे पास ,तुम्हारा हाथ थामने. 
याद है जान ,वो जहग जहां हम पहली बार मिले थे ,और मिलते ही लगा था जाने कब से जानते एक दूजे को ,हमारे असीम प्यार और तमाम   को यही पिरोह रही हूँ।....अगले जन्म में पलट के देखेंगे तो खूब ....हसेंगे 

एक बार जब हम पूरा दिन साथ में घूमते रहे थे।उस चिलचिलाती दोपहर से,में ओक में भर कर देर साड़ी धुप ले आई थी,सर्दियों के लिए।...
ऐसे क्या हंस रहे हो,सच्ची बोल रही हु,जानती हु तुम्हे भी नहीं पता।...वो साड़ी गुय्न्गुनाहत,हमारे प्यार की यहाँ सहेज रही हूँ,
वो मौसम जोजो तुमसे क्घुब्सुरत थे।..हां ...वो सारे सहेज रही हूँ 

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