प्रेमकहानी मरती देखी
आज फिर एक बार एक बार
अखबार के पन्नो पे
एक प्रेम कथा मरती देखि
नहीं देखि तो बस ख़ुशी से खुश होती
जब भी देखि इस दुनिया से लरती देखि
क्या इस जीवन का यथार्थ यही तक है
जब भी देखि सुनी
कभी इतिहास के पन्नो पे दम तोड़ते देखि
और देखा उन विचित्र लोगो को भी
मारते मजनू को पत्थर
अखबार के पन्नो पे
एक प्रेम कथा मरती देखि
नहीं देखि तो बस ख़ुशी से खुश होती
जब भी देखि इस दुनिया से लरती देखि
क्या इस जीवन का यथार्थ यही तक है
जब भी देखि सुनी
कभी इतिहास के पन्नो पे दम तोड़ते देखि
और देखा उन विचित्र लोगो को भी
मारते मजनू को पत्थर
और हर दिवार में एक अनारकली
मैंने चिनती देखि
जब भी देखी इस दुनिया के अन्धविश्वासो में
हर रोज़ एक प्रेम कहानी खोती देखी
और देखे हर मजनू के घाव
हर रोज़ एक प्रेम कहानी खोती देखी
और देखे हर मजनू के घाव
हर कोने में बेठी एक लैला रोती देखी
जब भी देखी इस दुनिया में प्रेमकहानी मरती देखी
जब भी देखी इस दुनिया में प्रेमकहानी मरती देखी
और मरकर भी हर एक जुबां पे मेने हर पल मचलती देखि
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