मेरी दास्ताँ-ऐ-हसरत वो मुझे सुनासुना के रोये 
मेरे आजमाने वाले मुझे आजमा के रोये 
कोई असाह्ल-ऐ-दिल हो के 
फ़साना-ऐ-मोहब्बत 
में उसे सुना के रोई,
वो मुझे सुना के रोये 
मेरी आरज़ू की दुनिया 
इस दिल की हसरत 
जिसे खो के आज इहादमन  में थे 
उसे आज पा के  रोये 
तेरी बेवफाई पर,
तेरे वादों पर 
कभी सर झुका के रोये 
कभू मुह छुपा के रोये 
जो सुनाई अन्जमन में ,शुब गम की आपबीती 
कोई रोके मुस्कुराये 
कोई मुस्कुरा के रोये  

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