चेहरे

चेहरे पे मुखोटा लगाए 
मिलते हैं हर रोज़ नए चेहरे,
नयी सूरत में नए अंडा 
किसी चेहरे पे खालीपन 
तो किसी चेहरे में 
गहरे राज़ 
किसी में किसी को पाने की ख़ुशी,तो 
किसी में किसी को न भूल पाने का गम 
कई चेहरे ऐसे भी होते है 
इस शहर की भीड़ में 
जो घूमते है बेखोफ ,
किसी का चेहरा लगाए 
लगता है मुज्मे ही हैं सब 
हर चेहरे का एक छोटा सा हिस्सा,
जैसे बुना हो मेरे ही चेहरे में,
किसी को पाने की ख़ुशी तो नहीं 
पर किसी को न भूल पाने का गम 
पर ये चेहरा तलाशता है 
हर सू 
जाने कोण से चेहरे में दिख जाए मुझे 
मेरा अपना ही चेहरा,अपना ही वजूद 
जैसे मै  ही मै  हु हर चेहरे में 
अपने की अक्स को दुन्द्ती नज़रे 
कुछ जाने पहचाने से अजनबी चेहरे 

चेहरे पे मुखोटा लगाये मिलते है हर रोज़ 
नए चेहरे  

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