मोहब्बत

मौसम मोहब्बत  का
बस इतना फ़साना है
कागज़ कि हवेली है
बारिस का ज़माना है
क्या शर्त-ऐ -मोहब्बत
क्या शर्त-ऐ -ज़माना है
आवाज़ भी ज़ख़्मी है
और गीत भी गाना है  ,
उस पार उतरने की उमीद बहुत कम है
कश्ती भी पुराणी है
तूफान का भी आना है
समझे या न समझे वो अंदाज़ मोहब्बत के
किसी शख्स को आँखों से
हाल-ऐ-दिल सुनना है 
भोली सी भोली  अदा फिर ,इश्क  की जिद्द पर है
फिर आग का दरिया है
और डूब के जाना है ..

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