मोहब्बत
मौसम मोहब्बत का
बस इतना फ़साना है
कागज़ कि हवेली है
बारिस का ज़माना है
क्या शर्त-ऐ -मोहब्बत
क्या शर्त-ऐ -ज़माना है
आवाज़ भी ज़ख़्मी है
और गीत भी गाना है ,
उस पार उतरने की उमीद बहुत कम है
कश्ती भी पुराणी है
तूफान का भी आना है
समझे या न समझे वो अंदाज़ मोहब्बत के
किसी शख्स को आँखों से
हाल-ऐ-दिल सुनना है
भोली सी भोली अदा फिर ,इश्क की जिद्द पर है
फिर आग का दरिया है
और डूब के जाना है ..
बस इतना फ़साना है
कागज़ कि हवेली है
बारिस का ज़माना है
क्या शर्त-ऐ -मोहब्बत
क्या शर्त-ऐ -ज़माना है
आवाज़ भी ज़ख़्मी है
और गीत भी गाना है ,
उस पार उतरने की उमीद बहुत कम है
कश्ती भी पुराणी है
तूफान का भी आना है
समझे या न समझे वो अंदाज़ मोहब्बत के
किसी शख्स को आँखों से
हाल-ऐ-दिल सुनना है
भोली सी भोली अदा फिर ,इश्क की जिद्द पर है
फिर आग का दरिया है
और डूब के जाना है ..
Comments
Post a Comment