मैं और तुम
मेरे तुम्हारे बीच
उग आया है
कंटीला मौन का जंगल
जाने कब खो गयीं
शब्दों की राहें
खिलखिलाहटों की पगडंडियाँ
ऊपर नज़र आता है
स्याह अँधेरा
नहीं दिखता है चाँद
नहीं दिखती तारों सी तुम्हारी आँखें
काँटों में
उलझ जाता है तुम्हारा स्पर्श
ग़लतफ़हमी की बेल
लिपट जाती है पैरों से
और मैं नहीं जा पाती तुम्हारे करीब
बहुत तेज़ होता जाता है
झींगुरों का शोर
मैं नहीं सुन पाती तुम्हारी धड़कन
पैरों में लोटते हैं
यादों के सर्प
काटने को तत्पर
शायद मेरी मृत्यु पर ही
निकले तुम्हारे गले से एक चीख
और तुम पा जाओ
शब्द और जीवन
उग आया है
कंटीला मौन का जंगल
जाने कब खो गयीं
शब्दों की राहें
खिलखिलाहटों की पगडंडियाँ
ऊपर नज़र आता है
स्याह अँधेरा
नहीं दिखता है चाँद
नहीं दिखती तारों सी तुम्हारी आँखें
काँटों में
उलझ जाता है तुम्हारा स्पर्श
ग़लतफ़हमी की बेल
लिपट जाती है पैरों से
और मैं नहीं जा पाती तुम्हारे करीब
बहुत तेज़ होता जाता है
झींगुरों का शोर
मैं नहीं सुन पाती तुम्हारी धड़कन
पैरों में लोटते हैं
यादों के सर्प
काटने को तत्पर
शायद मेरी मृत्यु पर ही
निकले तुम्हारे गले से एक चीख
और तुम पा जाओ
शब्द और जीवन
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