लच्छेदार बातें
मैं जब भी तुम्हे याद करती हूँ, तब ढेर सी लच्छेदार बातें ,
और बहुत से किस्से याद आते हैं,
तुम्हारी वो गर्म-गर्म साँसे जो हौले से
मेरे चेहरे पे लि
ख जाती थी तुम्हारा नाम
माँ के संग बैठ कर तकिये पर सर टीकाकार
तुम्हारा छुप-छुपकर मुझे तिरछी नजरों से देखना
इशारे करना
गर्म चाय के प्याले को फूंक-फूंककर
ठंडा करते वक़्त पापा से छुपकर , मुझको प्यार से दिया गया
तुम्हारा वो
पहला फ्लाईंग किस
डायरी से उड़ निकलने को बेताब इक खाली पन्ना और
वो तुम्हारी लिखी हुई अधूरी कविता !
वोह किताबों में सूखता हुआ गुलाब का फूल
जो तुमने मुझे वेलेंटाइन डे से पहले दिया था
प्यार का कहकर ,
बेहद पुरानी डायरी में रखी हुई
हमारी तस्वीर जिसके पीछे तुमने लिखा था फोरेवर योर्स !|♥♥
ओजस्विनी "तरु"
और बहुत से किस्से याद आते हैं,
तुम्हारी वो गर्म-गर्म साँसे जो हौले से
मेरे चेहरे पे लि
माँ के संग बैठ कर तकिये पर सर टीकाकार
तुम्हारा छुप-छुपकर मुझे तिरछी नजरों से देखना
इशारे करना
गर्म चाय के प्याले को फूंक-फूंककर
ठंडा करते वक़्त पापा से छुपकर , मुझको प्यार से दिया गया
तुम्हारा वो
पहला फ्लाईंग किस
डायरी से उड़ निकलने को बेताब इक खाली पन्ना और
वो तुम्हारी लिखी हुई अधूरी कविता !
वोह किताबों में सूखता हुआ गुलाब का फूल
जो तुमने मुझे वेलेंटाइन डे से पहले दिया था
प्यार का कहकर ,
बेहद पुरानी डायरी में रखी हुई
हमारी तस्वीर जिसके पीछे तुमने लिखा था फोरेवर योर्स !|♥♥
ओजस्विनी "तरु"
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